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कारक

कारक
संज्ञा तथा सर्वनाम के जिस रूप से उसके वाक्य के अन्य शब्दों के साथ का संबंध सामने आता है, उसे कारक कहते है।
जैसे – रमेश ने महेश को से पैसे निकाल कर दिए।
कारक के प्रकार
- कर्ता कारक
- कर्म कारक
- करण कारक
- संप्रदान कारक
- अपादान कारक
- संबंध कारक
- अधिकरण कारक
कर्ता कारक
विभक्ति – प्रथम
चिन्ह – ने
जैसे –
- राम ने रोटी खायी।
- मैंने उसे पढ़ाया।
- रीता ने गीता पढ़ ली।
- उसने इस गीत पर नृत्य किया।
- उसने तुम्हे याद किया।
कर्म कारक
विभक्ति – द्वितीय
चिन्ह – को
जैसे –
- पिता ने पुत्र को मारा।
- मां ने बच्चे को सुलाया।
- सरिता ने सार्थक को बुलाया।
- राम ने श्याम को शीतल जल पिलाया।
- शिक्षक के शीतल को डाटा।
करण कारक
विभक्ति – तृतीय
चिन्ह – को, से, द्वारा
जैसे –
- वह चाकू से मरता है।
- उसने पेड़ को कुल्हाड़ी से काटा।
- आशा कलम से लिखती है।
- दीप्ति बस द्वारा स्कूल जाती है।
संप्रदान कारक
विभक्ति – चतुर्थी
चिन्ह – के लिए, को
जैसे –
- उसने लड़के को मिठाइयां दी।
- राधा अपने पति के लिए खीर बाना रही है।
- वह मुझको रुपए दे रहा था।
- श्यामा ने लता को अपनी किताब दी।
अपादान कारक
विभक्ति – पंचमी
चिन्ह – से (अलग होने के अर्थ में)
जैसे –
- हिमालय से गंगा निकलती है।
- वह सीढ़ी से कूद गया।
- लता बाज़ार से सब्जी ला रही थी।
- वह नदी के पानी से कपड़े धूल रही है।
संबंध कारक
विभक्ति – षष्ठी
चिन्ह – का, की, के
जैसे –
- यह राम की किताब है।
- ये तुलसीदास का दोहा है।
- यह रश्मि के भाई ने बनाया है।
- यह प्रेमचंद का उपन्यास है।

अधिकरण कारक
विभक्ति – सप्तमी
चिन्ह – में, पर
जैसे –
- तुम्हारे घर में दस लोग हैं
- दुकान पर कोई नहीं था।
- आद्य ने कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
- सुरभि प्रगति के घर पर है।